Dhyaan ( ध्यान )
ध्यान में राम ध्याइए, तेज पुंज सुखरास ।
आदित्य-वर्ण शांति-मय, परम प्रेम का वास ।।
अस्ति भाति प्रिये-रूप ही, सर्व शक्ति भण्डार ।
सर्व ज्ञान आनंद-मय , विभु नित्य निराकार ।।
सब साधन का सार है, सब योगो का सार ।
सर्व कर्म का सार है, नाम ध्यान सुखकार ।।
दया हो देव दयाल की , मिले नाम का दान ।
वह दाता है दीन का, दीन-बंधू भगवान् ।।
